नई दिल्ली, 9 मई 2025 – भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक क्षमता का जीवंत प्रमाण बन चुके 'ऑपरेशन सिंदूर' ने न केवल आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि आज का भारत अपनी सीमाओं और आकाश की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क, सक्षम और आक्रामक है। इस ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में स्थित नौ आतंकवादी अड्डों को एक ही झटके में मिट्टी में मिला दिया।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के जवाब में भारत ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, और उसके कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने एलओसी और आसपास के इलाकों में भारत के खिलाफ मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई हथियारों के जरिए पलटवार करने की कोशिश की। लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की सख्त निगरानी और उच्च तकनीकी शक्ति के चलते पाकिस्तान की कोई भी मिसाइल भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं कर सकी।
यह सफलता संयोग नहीं थी, बल्कि एक दशक से अधिक की रणनीतिक तैयारी और रक्षा प्रणाली में सतत निवेश का प्रतिफल थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 2014 से ही भारत की सैन्य तैयारी, विशेषकर वायु रक्षा प्रणाली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। घटते सैन्य संसाधनों को पुनः सशक्त किया गया, पुराने उपकरणों को उन्नत किया गया और अत्याधुनिक तकनीकों को सेना में शामिल किया गया।
इस परिवर्तन की प्रमुख धुरी रहे रूस से प्राप्त एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम और फ्रांस से मिले अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान, जिन्होंने पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों को विफल करने में प्रमुख भूमिका निभाई। राफेल की स्कैल्प और हैमर मिसाइलों से लैस तैनाती ने भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया।
भारतीय वायु रक्षा कवच की मजबूती में इज़रायल से प्राप्त बराक-8 मिसाइल प्रणाली, स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरियाँ, डीआरडीओ द्वारा विकसित ड्रोन विरोधी तकनीक, और मैन-पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम (MPCDS) ने मिलकर एक अचूक रक्षातंत्र तैयार किया। इस सिस्टम ने दुश्मन के सभी प्रयासों को विफल करते हुए भारत की रक्षा तैयारियों का स्पष्ट संदेश दिया—अब भारत सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक आक्रामक रणनीति के लिए भी तैयार है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने न केवल सीमापार आतंकी अड्डों को नष्ट किया, बल्कि लाहौर के समीप चीन द्वारा पाकिस्तान को दी गई HQ-9 एयर डिफेंस प्रणाली को भी निष्क्रिय कर दिया। इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रमुख रडार नेटवर्क और हवाई निगरानी के ढांचे को गंभीर नुकसान पहुँचाया गया।
भारत की इस विजय यात्रा में एक और प्रमुख भूमिका हारोप ड्रोन ने निभाई, जो अब स्वदेश में ही तैयार हो रहे हैं। कराची और लाहौर में वायु रक्षा परिसंपत्तियों पर लक्षित हमलों में इनका अत्यधिक प्रभावी उपयोग किया गया। यही नहीं, 2021 में दिए गए आत्मघाती ड्रोन के ऑर्डर भी अब स्थानीय निर्माण के साथ कार्यशील हो चुके हैं और उन्होंने एक साथ विभिन्न मोर्चों पर आक्रमण कर दुश्मन को चौंका दिया।
यह पूरी रणनीतिक सफलता इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की रक्षा नीति अब केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि भविष्य के खतरों का अनुमान लगाकर तैयार की जा रही है। एयर डिफेंस से जुड़ी अधिकांश योजनाएँ पहले की तुलना में अब कहीं अधिक तेज़, सटीक और गहराई लिए हुए हैं।
'ऑपरेशन सिंदूर' ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह सन्देश दे दिया है कि भारत अब केवल अपने आकाश की रक्षा करने वाला देश नहीं है, बल्कि जब आवश्यक हो, वह शत्रु के आकाश में भी घुसकर विध्वंसक जवाब देने की पूर्ण क्षमता रखता है।
यह परिवर्तन न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक स्थिति को वैश्विक सुरक्षा मानचित्र पर एक नई ऊँचाई देता है—जहाँ भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक निर्णायक, आत्मनिर्भर और आधुनिक सैन्य राष्ट्र बन चुका है।
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