नई दिल्ली, 14 मई 2025 – 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने एक सटीक और रणनीतिक सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर प्रभावशाली कार्रवाई की। इस हमले के बाद पाकिस्तान की ओर से भारत के सैन्य और नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की गई, लेकिन भारत की आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली ने इन सभी प्रयासों को नाकाम कर दिया। हालाँकि सैन्य स्तर पर यह टकराव समाप्त हो गया, लेकिन इस दौरान एक और महत्वपूर्ण मोर्चा सामने आया—सूचना युद्ध, जिसमें पाकिस्तान और उसके साझेदार देशों ने भारत के खिलाफ भ्रामक सूचनाओं और फर्जी खबरों की बाढ़ ला दी।
‘डिसइंफो लैब’ नामक एक रिसर्च संगठन ने इस डिजिटल युद्ध का बारीकी से अध्ययन करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट श्रृंखला में यह खुलासा किया कि पाकिस्तान ने किस प्रकार अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों—चीन, तुर्की और बांग्लादेश—के साथ मिलकर भारत के विरुद्ध फेक न्यूज का व्यापक प्रचार-प्रसार किया। यह गलत सूचनाएं न केवल सोशल मीडिया तक सीमित रहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया चैनलों तक भी पहुंचाई गईं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान ने कैसे अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया संस्थानों जैसे सीएनएन, रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग और न्यू यॉर्क टाइम्स तक अपनी पहुंच का लाभ उठाकर भारत के खिलाफ बिना किसी प्रमाण के झूठे और मनगढ़ंत दावे प्रकाशित करवाए। पाकिस्तानी पत्रकारों और विश्लेषकों ने भारत पर आरोप लगाने वाले बयानों की बाढ़ ला दी, जिनका उद्देश्य केवल वैश्विक जनमत को भटकाना था।
डिसइंफो लैब ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कैसे पाकिस्तान ने 8 मई को यह दावा किया कि उसने अमृतसर में किसी भी नागरिक क्षेत्र पर हमला नहीं किया। लेकिन इसके अगले ही दिन उसी पाकिस्तान के सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अमृतसर पर हुए हमले का जश्न मनाते हुए पोस्ट साझा की गईं।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय की मीडिया शाखा—डीजीआईएसपीआर—ने एक भारतीय महिला पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह की वीडियो क्लिप को तोड़-मरोड़कर पेश किया और उस हिस्से को काट दिया जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि पाकिस्तान ने भारत के नागरिकों को भी निशाना बनाया है। इसके अलावा, डीजीआईएसपीआर ने दो साल पुराना एक वीडियो क्लिप भी प्रसारित किया जिसमें दावा किया गया कि उनकी नौसेना भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रही है।
डीजीआईएसपीआर ने एक अन्य फर्जीवाड़ा करते हुए भारत के प्रमुख न्यूज़ चैनल 'आजतक' की रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की और यह दावा किया कि भारत का एक एयरफील्ड नष्ट कर दिया गया है। हालांकि मूल क्लिप में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के एयरबेस पर की गई कार्रवाई दिखाई गई थी। इसी तरह ‘इंडिया टीवी’ की क्लिप को भी गलत संदर्भ में पेश किया गया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स से एक वीडियो गेम की फुटेज को वास्तविक युद्ध दृश्य बताकर प्रसारित किया गया, जिसमें भारतीय लड़ाकू विमान को गिराने का दावा किया गया था।
इसके अलावा, पाकिस्तान ने सीएनएन के फर्जी ग्राफिक्स और बिना किसी सैटेलाइट इमेजरी या पुष्टि के यह दावा किया कि उसने भारत के 26 सैन्य ठिकानों पर हमला किया है, जबकि भारतीय सैन्य स्रोतों ने केवल 5 ठिकानों के आंशिक प्रभाव की पुष्टि की।
डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पाकिस्तानी सोशल मीडिया ने एक और फर्जी खबर फैलाई—जिसमें दावा किया गया था कि भारतीय महिला पायलट शिवांगी सिंह को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया है। यह खबर इतनी व्यापक रूप से फैली कि अंतरराष्ट्रीय समाचार संस्था 'अल जजीरा' ने भी शुरू में इसे रिपोर्ट कर दिया, लेकिन बाद में अपनी गलती सुधारते हुए खबर को संशोधित किया। अंततः डीजीआईएसपीआर को इस झूठ को स्वीकार करना पड़ा कि किसी भी भारतीय पायलट को पकड़ा नहीं गया है। हालांकि, यह एकमात्र झूठ था जिसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया।
पाकिस्तान के एक और दावे—कि भारत ने संघर्षविराम के लिए अनुरोध किया था—को भी गलत ठहराया गया। इसी तरह भारत के 5 लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा भी पूरी तरह से झूठा सिद्ध हुआ।
यह पूरा प्रकरण भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीन, तुर्की और पाकिस्तान के बीच गहरे होते रणनीतिक और सूचना साझेदारी को उजागर करता है। तुर्की ने अपने राज्य प्रायोजित मीडिया नेटवर्क और सोशल मीडिया बॉट्स की मदद से पाकिस्तान के फर्जी दावों को वैश्विक मंच पर फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। वहीं, चीन ने सोशल मीडिया पर सैकड़ों फर्जी अकाउंट्स के माध्यम से झूठी तस्वीरें, वीडियो और जानकारी साझा की।
बांग्लादेश से भी फर्जी सूचनाएं फैलाने में योगदान देखने को मिला। कई सोशल मीडिया अकाउंट्स से भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाली और गलत जानकारी वाली पोस्ट्स वायरल की गईं, जिनमें से कुछ को हजारों बार रीट्वीट किया गया। इन पोस्ट्स का मकसद भारत की छवि को धूमिल करना और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भ्रम पैदा करना था।
‘डिसइंफो लैब’ की यह रिपोर्ट साफ तौर पर दिखाती है कि आधुनिक युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि इंटरनेट और सूचना के क्षेत्र में भी लड़ा जा रहा है। पाकिस्तान और उसके सहयोगियों द्वारा फैलाए गए इस फेक न्यूज अभियान को न केवल उजागर किया गया, बल्कि भारत की डिजिटल क्षमताओं और जागरूकता की भी परीक्षा ली गई, जिसमें भारत ने मजबूती से मोर्चा संभाला।
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