बांझपन नहीं है अभिशाप, समय रहते पहचानें लक्षण, डॉ. शालिनी ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

जमुई/बिहार | हेल्थ डेस्क। प्रजनन संबंधित समस्याएं आज के समय में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही हैं। जमुई स्थित 'मातृत्व सेवा सदन' की प्रसिद्ध प्रसव एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी द्वारा महिलाओं और पुरुषों में बांझपन के संकेतों और कारणों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। वे प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर जागरूकता फैलाने का कार्य कर रही हैं।

★ महिलाओं में बांझपन के लक्षण:
डॉ. शालिनी के अनुसार, महिलाओं में बांझपन के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं :

1. मानसिक और शारीरिक तनाव: लगातार तनाव हार्मोन असंतुलन और ओवुलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
2. अंडों का नियमित रूप से न बनना: अंडोत्सर्जन में रुकावट गर्भधारण की संभावनाओं को कम कर देती है।
3. फैलोपियन ट्यूब का बंद होना: इससे अंडाणु और शुक्राणु का मिलन संभव नहीं हो पाता।
4. मासिक चक्र की अनियमितता: समय से माहवारी न आना प्रजनन क्षमता को दर्शाने वाला संकेत हो सकता है।
5. हार्मोन्स की अनियमितता: थायरॉयड, प्रोलैक्टिन या अन्य हार्मोन का असंतुलन गर्भधारण में बाधा उत्पन्न करता है।
6. Cervical Mucus Hostility और जननांगों का सूखापन: जिससे शुक्राणु गर्भाशय तक नहीं पहुंच पाते।

★ पुरुषों में बांझपन के संकेत :
पुरुषों में बांझपन के कारण अक्सर नजरअंदाज किए जाते हैं, जबकि डॉ. शालिनी ने इनके निम्न संकेत बताए :

1. मानसिक और शारीरिक रूप से नपुंसकता: तनाव और कमजोरी शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करती है।
2. Oligospermia: यानी शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी होना।
3. Azoospermia: अर्थात शुक्राणुओं की पूर्ण अनुपस्थिति।
4. Low Sperm Count: शुक्राणुओं की संख्या में कमी होना।
5. Low Motility: शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी, जिससे वे अंडाणु तक नहीं पहुंच पाते।
6. Ejaculation Issue: वीर्य का समय पर उत्सर्जन न होना या गर्भाशय तक न पहुंचना।

डॉ. शालिनी ने बताया कि समय पर इन लक्षणों को पहचान कर उचित उपचार से बांझपन का समाधान संभव है। इसके लिए वे नियमित परामर्श और चिकित्सकीय परीक्षण की सलाह देती हैं।

डॉ. शालिनी बिहार के जमुई में मातृत्व सेवा सदन में महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर गहन जानकारी और समाधान प्रदान करती हैं। बांझपन कोई लाइलाज समस्या नहीं है। सही जानकारी, समय पर परामर्श और चिकित्सा द्वारा संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है। समाज में जागरूकता और सहयोग से इस विषय को खुलकर समझना और दूसरों को भी प्रेरित करना आज की आवश्यकता है।
और नया पुराने