आपातकाल में संघर्ष करने वाले युवा मोदी ने 2014 में परिवारवाद को किया खत्म : अमित शाह

नई दिल्ली, 26 जून 2025। ‘संविधान हत्या दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी के संघर्ष को याद करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस युवा नरेंद्र मोदी ने आपातकाल के दौरान गांव-गांव घूमकर तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई थी, उसी व्यक्ति ने 2014 में परिवारवाद की राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका।

इस मौके पर ‘The Emergency Diaries: Years That Forged a Leader’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसमें आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिगत भूमिका और संघर्ष को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

भूमिगत रहते हुए किया संघर्ष
गृह मंत्री अमित शाह ने पुस्तक के हवाले से कहा कि 25 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने संघ प्रचारक के रूप में जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख के नेतृत्व में चले 19 महीने के आपातकाल विरोधी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई।

“मोदी जी कभी साधु, कभी सरदार, कभी हिप्पी, तो कभी अखबार या अगरबत्ती बेचने वाले के भेष में भूमिगत रहकर विरोध करते रहे,” शाह ने बताया।

उन्होंने आगे कहा कि मोदी ने मीसा कानून के तहत जेल में बंद कार्यकर्ताओं के परिजनों से मिलकर उनकी सहायता और इलाज की व्यवस्था की, साथ ही गुप्त रूप से प्रकाशित पत्रिकाएं, पर्चे और विरोध सामग्री छात्रों, महिलाओं और आम लोगों में बांटी।

2014 में परिवारवाद का अंत
अमित शाह ने कहा, “इंदिरा गांधी द्वारा परिवारवाद स्थापित करने के उद्देश्य से आपातकाल थोपा गया था, लेकिन उसी तानाशाही के खिलाफ जो युवा मोदी खड़े हुए थे, उन्होंने 2014 में देशभर से परिवारवादी राजनीति को उखाड़ फेंका। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने का जो काम किया है, वह अद्वितीय है।”

युवाओं से की अपील
शाह ने देश के युवाओं से अपील करते हुए कहा,
इस पुस्तक को पढ़ना आज के युवाओं के लिए जरूरी है, ताकि वे जान सकें कि तानाशाही के अंधेरे में किस तरह लोकतंत्र के दीप जलाए गए थे। यह किताब न सिर्फ इतिहास का दस्तावेज है, बल्कि यह बताती है कि कैसे एक युवा संघर्षशील कार्यकर्ता देश का सबसे लोकप्रिय और लोकतांत्रिक प्रधानमंत्री बना।
किताब में पांच अध्याय
उन्होंने बताया कि पुस्तक में पांच प्रमुख अध्याय हैं —
1. मीडिया सेंसरशिप
2. सरकार का दमन
3. संघ और जनसंघ का संघर्ष
4. आपातकाल पीड़ितों का वर्णन
5. तानाशाही से जनभागीदारी तक की यात्रा

कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए युवाओं की भूमिका को सराहा और ऐसे ऐतिहासिक संघर्षों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता पर बल दिया।
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