नई दिल्ली, 26 जून 2025। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर देशभर में जहां सियासी बयानबाज़ी तेज़ है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार शास्त्री ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति करते हुए कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई भी प्रतिबंध अस्वीकार्य है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी पहले ही इमरजेंसी को "गलत" करार दे चुके हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा,
> “मुझे आज भी याद है कि 25 जून 1975 को मैं मुंबई में एक युवा पेशेवर के तौर पर काम कर रहा था। अगले दिन देखा कि एक अखबार के संपादकीय कॉलम में विरोधस्वरूप कुछ भी नहीं लिखा गया था। यह दृश्य आज भी मेरी स्मृति में ताजा है।”
वर्तमान सरकार पर भी कसा तंज
अनिल शास्त्री ने वर्तमान सरकार की शैली को ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया। उन्होंने कहा,
> “आज जो हालात हैं, वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अघोषित प्रतिबंध के समान हैं। जो भी सरकार की आलोचना करता है, उसके पीछे जांच एजेंसियां लगा दी जाती हैं। यह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।”
आपातकाल और चुनावी परिणामों की चर्चा
उन्होंने 1975 की आपातकालीन घोषणा को याद करते हुए कहा कि जनता ने उस फैसले को पसंद नहीं किया, इसलिए 1977 में कांग्रेस की करारी हार हुई और इंदिरा गांधी तक रायबरेली से चुनाव हार गईं।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जनता पार्टी के शासनकाल के अनुभवों के बाद लोगों को महसूस हुआ कि देश को कांग्रेस ही स्थिरता दे सकती है।
> “1980 और फिर 1984 में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला। 2004 से 2014 तक कांग्रेस ने लगातार 10 साल सरकार चलाई। लोकतंत्र में जनता का गुस्सा क्षणिक होता है, वह हर बार अपने निर्णय में सुधार करती है।”
भाजपा पर हमला, इमरजेंसी वर्षगांठ पर सवाल
अनिल शास्त्री ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि
> “कुशासन से ध्यान हटाने के लिए भाजपा आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मना रही है। सरकार की कई योजनाएं फेल हो चुकी हैं और इससे ध्यान भटकाने के लिए यह रणनीति अपनाई जा रही है।”
शशि थरूर के बयान पर प्रतिक्रिया
हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “प्राइम एसेट ऑफ इंडिया” बताया था, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए शास्त्री ने कहा,
> “थरूर का बयान उनका व्यक्तिगत मत हो सकता है। यदि उन्होंने विदेश नीति की तारीफ की है, तो यह उनकी सोच है, लेकिन उन्हें नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर भी बोलना चाहिए। थरूर पर कार्रवाई होगी या नहीं, यह निर्णय पार्टी हाईकमान का है।”
आपातकाल को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा किया गया यह खुला स्वीकार, जहां लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित करता है, वहीं यह भाजपा और कांग्रेस के बीच जारी सियासी घमासान को भी एक नया मोड़ देता है। वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर लगाए गए ‘अघोषित आपातकाल’ जैसे आरोप निश्चित रूप से आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकते हैं।
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