नई दिल्ली, 26 जून 2025। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रेम, विलासिता, सौंदर्य, भौतिक सुख-सुविधाओं और रिश्तों का कारक माना गया है। शुक्र की कृपा जहां जीवन में ऐश्वर्य, आकर्षण और संबंधों में मिठास लाती है, वहीं कुंडली में इसकी कमजोर स्थिति जीवन में संघर्ष, रिश्तों में दरार और आर्थिक परेशानियों का कारण बन सकती है।
ऐसे में यदि कोई जातक शुक्र के दोषों से पीड़ित है, तो कुछ विशेष मंदिरों के दर्शन व पूजन से उसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में सौंदर्य, समृद्धि और सफलता का संचार हो सकता है। आइए जानें भारत के कुछ पौराणिक और शक्तिशाली मंदिरों के बारे में, जो शुक्र ग्रह से जुड़े हैं।
🌕 1. शुक्रेश्वर महादेव मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
स्थान: कालिका गली, काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, वाराणसी
विशेषता: स्कंद पुराण, शिव पुराण और काशी खंड में वर्णित
मान्यता: इस मंदिर की स्थापना स्वयं शुक्र देव ने की थी।
शक्ति: शुक्र ग्रह के दोषों से मुक्ति, संतान प्राप्ति, ऐश्वर्य की प्राप्ति
विशेष: मंदिर परिसर में स्थित "शुक्र कूप" का जल पीने या स्नान करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
🕉️ 2. शुक्रेश्वर मंदिर, गुवाहाटी (असम)
स्थान: पानबाजार, ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे, गुवाहाटी
मान्यता: संत शुक्र ने यहां एकांतवास में तपस्या की थी।
शक्ति: भगवान शिव के इस मंदिर में शुक्र ग्रह की शांति हेतु दर्शन लाभ मिलता है।
खासियत: इसे भगवान शिव के सबसे बड़े लिंगमों में से एक और छठे ज्योतिर्लिंग लिंगम के रूप में जाना जाता है।
🔱 3. कचेश्वर मंदिर, कोपरगांव (महाराष्ट्र)
स्थान: कोपरगांव, महाराष्ट्र
विशेषता: शुक्राचार्य की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध
शक्ति: मृत संजीवनी विद्या की साधना का केंद्र
मान्यता: यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक से शिव और शुक्राचार्य दोनों की कृपा मिलती है।
अनूठा दर्शन: मंदिर परिसर में नंदी और कछुआ की काले पत्थर की मूर्तियां।
🌸 4. कंजानूर शुक्रन मंदिर / अग्निश्वर मंदिर, तमिलनाडु
स्थान: कंजानूर, कुंभकोणम से 18 किमी दूर
विशेषता: नवग्रह मंदिरों में से एक
शक्ति: शुक्र ग्रह की विशेष पूजा का केंद्र
पूजन विधि: भक्त यहां सफेद वस्त्र और सफेद फूलों से शुक्र ग्रह की शांति के लिए पूजा करते हैं।
मान्यता: भगवान शिव यहां अग्निश्वर रूप में विराजमान हैं, लेकिन मंदिर मुख्य रूप से भगवान शुक्रन को समर्पित है।
✨ शुक्र से जुड़ी रोचक जानकारियां:
शुक्र देव को असुरों का गुरु माना जाता है।
इन्हें मृत संजीवनी विद्या के ज्ञाता के रूप में भी जाना जाता है।
शुक्र की महादशा 20 वर्षों तक और अंतर्दशा 3 वर्ष 3 महीने चलती है।
यह ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी है और मीन राशि में उच्च का होता है।
चंद्रमा के बाद आसमान में सबसे चमकीला ग्रह शुक्र ही है।
यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह दुर्बल है या उसकी दशा जीवन में कष्ट दे रही है, तो इन शक्तिपीठों के दर्शन और पूजा से शुक्र ग्रह की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इससे न केवल प्रेम और संबंधों में सुधार होता है, बल्कि भौतिक ऐश्वर्य, धन और सुख की भी प्राप्ति होती है। शुक्र दोष से मुक्ति चाहिए तो इन मंदिरों का दर्शन जरूर करें और जीवन को बनाएं प्रकाशमय।
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