पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक रांची में संपन्न, शाह की अध्यक्षता में 4 राज्यों के 20 अहम मुद्दों पर मंथन

रांची/झारखंड, 10 जुलाई 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गुरुवार को रांची के होटल रेडिशन ब्लू में पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की 27वीं बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से जुड़े 20 अहम एजेंडों पर व्यापक चर्चा हुई।

चार राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्री शामिल
बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सहित चारों राज्यों के प्रमुख मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
झारखंड का पक्ष रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से 15 वरिष्ठ आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की विशेष टीम बैठक में उपस्थित रही।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पारंपरिक अंदाज़ में स्वागत किया।

बैठक में उठे ये प्रमुख मुद्दे :

1. झारखंड-पश्चिम बंगाल के बीच मयूराक्षी डैम जल विवाद
2. अपर महानंदा जल योजना में फुलबारी डैम की लागत साझेदारी
3. बिहार के इंद्रपुरी जलाशय परियोजना का निर्माण
4. गाद प्रबंधन नीति को लेकर ठोस रणनीति
5. गांवों तक बैंक शाखाओं की पहुंच बढ़ाना
6. महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों में त्वरित अनुसंधान और फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थिति
7. इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम 112 की समीक्षा
8. पश्चिम बंगाल में भूमि अधिग्रहण में विलंब, जिससे बीएसएफ की बटालियन और सेक्टर मुख्यालय की स्थापना में हो रही देरी

झारखंड ने उठाया 1.36 लाख करोड़ के बकाए का मुद्दा
बैठक के दौरान झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार पर ₹1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया भुगतान का दावा दोहराया। इसके साथ ही मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना की लंबित राशि रिलीज करने की भी मांग रखी गई।

झारखंड-बिहार के बीच पेंशन विवाद भी एजेंडे में
बिहार और झारखंड के बीच राज्य विभाजन के बाद से लंबित पेंशन देनदारी और अन्य वित्तीय दायित्वों को लेकर भी चर्चा हुई।
गृह मंत्रालय ने दोनों राज्यों के महालेखाकारों को पेंशन संबंधी वास्तविक आंकड़े जुटाने का निर्देश पहले ही दे रखा है, क्योंकि वर्तमान में दोनों राज्यों के आंकड़ों में मेल नहीं है।

बैठक के दौरान अंतरराज्यीय समन्वय के विभिन्न पहलुओं पर सार्थक संवाद हुआ। उम्मीद की जा रही है कि जल विवाद से लेकर विकास योजनाओं तक उठाए गए मुद्दों पर जल्द ही नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे, जिससे चारों राज्यों को सामाजिक और आर्थिक स्तर पर मजबूती मिलेगी।

इस बैठक को पूर्वी भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसमें न केवल समस्याएं सामने आईं, बल्कि समाधान की दिशा भी तय हुई।
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