नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025 : बिहार में चल रहे मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। कांग्रेस, राजद, टीएमसी, सीपीआई(एम) समेत कई विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को “लोकतंत्र की जड़ों से जुड़ा” बताया, लेकिन चुनाव आयोग को प्रक्रिया रोकने का कोई निर्देश नहीं दिया।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कहा कि मतदाता सूची का अद्यतन मतदान के अधिकार से जुड़ा अत्यंत संवेदनशील विषय है, जिस पर गंभीर कानूनी बहस की आवश्यकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है और हम उसके कार्य में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
आयोग के पक्ष में पूर्व एटॉर्नी जनरल, विपक्ष की ओर से सिब्बल और नारायण
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल तथा राकेश द्विवेदी ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और गोपाल शंकर नारायण ने बहस की।
गोपाल नारायण ने कहा कि आयोग द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेजों की अनिवार्यता भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि एसआईआर का प्रावधान न तो आरपी एक्ट में है और न ही इलेक्शन रूल्स में। साथ ही यह प्रक्रिया सिर्फ बिहार में शुरू की गई है, जबकि यह पूरे देश के लिए नहीं अपनाई गई है, जो पक्षपात को दर्शाता है।
"आयोग वही कर रहा जो संविधान में है": सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस धूलिया ने नारायण से कहा, "आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वो नहीं कर सकता। आपको यह तर्क देना होगा कि वह जो कर रहा है, वो कैसे अनुचित है।"
इस पर नारायण ने तर्क दिया कि आयोग का तरीका मनमाना है, और इसमें कुछ वर्गों को पूरी तरह से बाहर रखा गया है, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं है।
आयोग की सफाई: दस्तावेजों का उद्देश्य पहचान सत्यापन
चुनाव आयोग ने अपनी सफाई में कहा कि मांगे गए 11 दस्तावेजों का उद्देश्य सिर्फ पहचान सत्यापित करना है, न कि नागरिकता पर संदेह जताना। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को नागरिकता का आधार नहीं माना गया है, बल्कि यह केवल एक पहचान पत्र है।
कोर्ट का रुख: रोक नहीं, पर निगरानी जारी
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को फिलहाल कोई रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि "हम आयोग के काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन कानूनी पहलुओं की गहन जांच करेंगे।" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी, ताकि समय रहते मामले का निपटारा हो सके।
आयोग की अपील: प्रक्रिया में देरी न हो
चुनाव आयोग ने कोर्ट से अपील की कि ड्राफ्ट प्रकाशन पर रोक न लगाई जाए, क्योंकि इससे पूरी प्रक्रिया प्रभावित होगी और नवंबर में संभावित विधानसभा चुनावों की तैयारी बाधित हो सकती है।
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