बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान 18 लाख मृत वोटर चिन्हित, 7 लाख के दो स्थानों पर नाम


पटना, 22 जुलाई। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के अंतिम चरण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच के दौरान अब तक राज्य में 18 लाख से अधिक मृतक मतदाता पंजीकृत पाए गए हैं। साथ ही 7.5 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम दो अलग-अलग स्थानों पर दर्ज मिले हैं, जबकि 16 लाख से अधिक वोटर अब किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र में स्थानांतरित हो चुके हैं।

अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, कुल 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 7.16 करोड़ (90.67%) के गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं। इनमें से 7.13 करोड़ डिजिटल फॉर्म हैं। विशेष सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि लगभग 52.30 लाख लोग अपने पते पर नहीं मिले, जबकि 2.36% (18.66 लाख) मृतक पाए गए।

इसके अतिरिक्त, 3.29% मतदाता (26 लाख से अधिक) स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए, और 0.95% (लगभग 7.5 लाख) मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज मिले। वहीं, 0.01% (11,484) मतदाताओं का कोई पता नहीं चल सका है। अब तक कुल 97.30% मतदाताओं की प्रविष्टियां पूरी हो चुकी हैं और 21.36 लाख फॉर्म अभी भी लंबित हैं।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आगामी 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में सभी पात्र मतदाताओं का समावेश सुनिश्चित करने के लिए प्रयास तेज़ कर दिए गए हैं। इस अभियान में 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों द्वारा नियुक्त किए गए 1 लाख बीएलओ, 4 लाख वालंटियर, और 1.5 लाख बीएलए मिलकर कार्य कर रहे हैं। उनका लक्ष्य उन मतदाताओं तक पहुंचना है जिनके फॉर्म अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं या जो अपने पते पर अनुपस्थित मिले हैं।

मुख्य चुनाव पदाधिकारी और जिला अधिकारियों द्वारा सभी राजनीतिक दलों को विस्तृत सूची भी सौंपी गई है, जिसमें उन मतदाताओं का विवरण है जिनके फॉर्म अभी लंबित हैं या जो मृतक, स्थानांतरित या दो स्थानों पर पंजीकृत हैं। 1 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक आम नागरिक नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूची में आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे।

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