Jamui: जनसंख्या स्थिरीकरण विकास की रीढ़, केकेएम कॉलेज में हुई संगोष्ठी, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

जमुई/बिहार, 11 जुलाई 2025। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर केकेएम कॉलेज, जमुई के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा "भारत में जनसंख्या स्थिरीकरण और आर्थिक विकास" विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कॉलेज के व्याख्यान हॉल में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर पासवान ने की।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण आज की सबसे बड़ी राष्ट्रीय आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने कहा कि “भारत की जनसंख्या हर वर्ष ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के बराबर बढ़ रही है। ऐसे में यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो भविष्य में खाद्य संकट, बेरोजगारी और संसाधनों की भारी कमी जैसे गंभीर परिणाम सामने आएंगे।”

प्रो. पासवान ने बताया कि 1 जुलाई 2025 तक भारत की जनसंख्या 146.4 करोड़ तक पहुंच चुकी है, जबकि चीन की जनसंख्या 141 करोड़ है। उन्होंने कहा, “आज भारत जनसंख्या के मामले में विश्व चैंपियन बन गया है, लेकिन यह उपलब्धि नहीं, चेतावनी है।” उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए संयम और विवेक को सर्वश्रेष्ठ उपाय बताया और कहा कि “जहां नारी शिक्षित होती है, वहीं जनसंख्या नियंत्रित होती है।”

परिचर्चा में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रो. सरदार राम ने कहा कि अनियंत्रित जनसंख्या विकास नहीं, बल्कि विनाश को आमंत्रित करती है। उन्होंने कहा, “जनसंख्या विस्फोट संसाधनों की लूट और अवसरों की हत्या है। यह सामाजिक शांति और न्याय के लिए भी खतरा बनता जा रहा है।”

वहीं राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल ने जनसंख्या को वैश्विक चुनौती बताया। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे को धार्मिक या राजनीतिक चश्मे से नहीं, बल्कि मानवता के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।” उन्होंने देश में 2021 की जनगणना के अब तक न होने पर चिंता जताते हुए कहा कि “जिस देश की जनगणना स्थगित हो जाए, उसका भविष्य भी अनिश्चित हो जाता है।”

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। सभी ने जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर विचार साझा किए और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

📌 मुख्य बिंदु :
भारत की जनसंख्या 146.4 करोड़ पार
हर वर्ष एक "ऑस्ट्रेलिया" जितनी जनसंख्या में वृद्धि
जनसंख्या विस्फोट = गरीबी + बेरोजगारी + संसाधनों पर दबाव
समाधान : शिक्षा, संयम, विवेक और नीति-सम्मत जनसंख्या नियंत्रण
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