दुमका/झारखंड, 15 जुलाई 2025, मंगलवार : श्रावणी मेले के दौरान बासुकीनाथ धाम में एक बड़ा हादसा सामने आया है। सोमवार की देर रात मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं के कारण रूट लाइन पर श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया शेड अचानक ढह गया, जिससे 6 श्रद्धालु घायल हो गए। हादसा उस वक्त हुआ जब श्रद्धालु बाबा मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगे हुए थे।
400 फीट लंबा शेड गिरा, कई कांवड़िये दबे
जानकारी के अनुसार, कांवड़ियों को धूप और बारिश से बचाने के लिए रूट लाइन पर 400 फीट लंबा लोहे और बांस से बना शेड लगाया गया था। यह शेड लगातार हो रही बारिश और मिट्टी के कटाव के चलते कमजोर हो चुका था। देर रात तेज हवा के साथ शेड का एक हिस्सा श्रद्धालुओं पर आ गिरा, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
घायलों में महिलाएं और डाक कांवड़िये शामिल
घटना में घायल श्रद्धालुओं में बिहार के सहरसा, गया और नालंदा जिलों के डाक कांवड़िए और महिला श्रद्धालु शामिल हैं।
मलखूब बम (सहरसा) – पैर में गंभीर चोट, फूलझानो मेडिकल कॉलेज में भर्ती
रेणु देवी (नालंदा) – कमर में चोट
रेणु देवी (गया) – सिर फटने से सीटी स्कैन के लिए रेफर
सविता देवी (गया) – सिर में चोट
अशोक प्रजापति (गया) – दोनों पैरों में चोट
प्रमिला देवी (नालंदा) – हाथ और बाँह में चोट
तत्काल राहत और प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। घायल श्रद्धालुओं को बासुकीनाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और फिर गंभीर घायलों को दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया।
दुमका के उपायुक्त ने हादसे की जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हुए बताया कि सभी घायलों को अविलंब प्राथमिक चिकित्सा दी गई और अब सभी की स्थिति स्थिर है। पांच श्रद्धालुओं को जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए वाहन से उनके घर भेज दिया गया है।
कांवड़िया शेड की गुणवत्ता पर उठे सवाल
बताया जा रहा है कि यह शेड दुमका टेंट हाउस द्वारा लगाया गया था। लगातार हो रही बारिश और मिट्टी के कटाव के कारण एक पिलर कमजोर पड़ गया, जिससे शेड धराशायी हो गया। घटना के बाद तिरपाल, बांस-बल्ला और लोहे के एंगल को हटाने का कार्य युद्धस्तर पर किया गया।
श्रद्धालुओं में नाराजगी, जांच की मांग
इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि इतने बड़े धार्मिक आयोजन के लिए बनाए गए शेड की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होते हैं। हादसे की उच्चस्तरीय जांच की मांग की जा रही है।
श्रावणी मेले में उमड़ती भीड़ और प्राकृतिक आपदाओं के बीच प्रशासन की तैयारी की सच्चाई एक बार फिर सामने आ गई है। ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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