लाइफस्टाइल डेस्क | देसी खबर मीडिया : जब भी कोई पैकेज आपके घर आता है तो उसके अंदर एक ऐसी चीज़ जरूर होती है,जिसे देखकर आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है बबल रैप। यह सिर्फ पैकिंग का सामान नहीं है बल्कि बच्चों से लेकर बड़ों तक का फेवरेट स्ट्रेस-रिलीफ खिलौना भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बबल रैप का आविष्कार असल में पैकिंग के लिए नहीं हुआ था? इसका इतिहास उतना ही दिलचस्प है,जितना इसे पॉप करने का मज़ा!
शुरुआत : वॉलपेपर बनाने की कोशिश
साल 1957 में दो इंजीनियर अल्फ्रेड फील्डिंग और मार्क शावानेस एक नई किस्म का 3D वॉलपेपर बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने दो प्लास्टिक की शीट्स को आपस में चिपकाया,जिनके बीच हवा फँस गई और छोटे-छोटे बुलबुले बन गए। परिणाम? एक अजीब-सा “बबल वाला प्लास्टिक”। लेकिन उस समय यह न तो वॉलपेपर के रूप में चला और न ही इंसुलेशन मटेरियल के रूप में।
असली पहचान : पैकेजिंग का हीरो
कुछ साल बाद 1960 में दोनों ने Sealed Air Corporation की स्थापना की। तभी उन्हें एहसास हुआ कि यह “बबल वाला प्लास्टिक” पैकिंग और सुरक्षा के लिए बेहद उपयोगी है।
* IBM ने अपने नए कंप्यूटर मॉडल 1401 को भेजने के लिए बबल रैप का इस्तेमाल किया।
* इसके बाद तो यह दुनियाभर में पैकेजिंग का सबसे लोकप्रिय साधन बन गया।
आधुनिक दौर में बबल रैप
* आज बबल रैप सिर्फ पैकेजिंग तक सीमित नहीं है।
* यह स्ट्रेस रिलीफ टॉय की तरह भी इस्तेमाल होता है।
* लोग इसे DIY प्रोजेक्ट्स,आर्ट्स और यहां तक कि फैशन तक में यूज़ करने लगे हैं।
* हर साल जनवरी के आखिरी सोमवार को “Bubble Wrap Appreciation Day” मनाया जाता है।
मजेदार तथ्य
अगर दुनिया भर में बनने वाले सारे बबल रैप को फैलाकर जोड़ दिया जाए तो वह धरती को कई बार लपेट सकता है।
* वैज्ञानिकों ने भी माना है कि बबल रैप को पॉप करने से स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होती है।
* बच्चों के लिए यह खिलौना है तो बड़ों के लिए थेरेपी!
बबल रैप यह साबित करता है कि कभी-कभी गलती से हुई खोज ही सबसे बड़ी कामयाबी बन जाती है। जिसे दो इंजीनियर ने वॉलपेपर के रूप में सोचा था,वही आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय पैकेजिंग मटेरियल और स्ट्रेस-बस्टर बन चुका है। तो अगली बार जब आप किसी पैकेज से बबल रैप निकालें तो उसे फेंकें नहीं पॉप कीजिए और उसका इतिहास याद कीजिए!
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