नई दिल्ली। भारतीय मिठाइयों की दुनिया में अगर सबसे लोकप्रिय नामों की बात की जाए तो गुलाब जामुन निश्चित रूप से शीर्ष पर आता है। चाहे शादी-ब्याह का अवसर हो, कोई धार्मिक त्योहार या घर में किसी नए मेहमान का स्वागत, हर खुशी के मौके पर मिठास घोलने के लिए सबसे पहले जिस डिश का ख्याल आता है, वह है नरम-गर्म चाशनी में डूबा हुआ गुलाब जामुन। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस अद्भुत मिठाई का नाम ‘गुलाब जामुन’ क्यों पड़ा, जबकि इसमें न तो गुलाब की पंखुड़ियां होती हैं और न ही जामुन फल? और क्या आप जानते हैं कि इसका जन्मस्थान भारत भी नहीं है? आइए जानते हैं इस मीठी कहानी को जरा विस्तार से।
नाम के पीछे छुपा दिलचस्प रहस्य
‘गुलाब जामुन’ नाम की जड़ें फारसी भाषा से जुड़ी हैं। फारसी में ‘गुल’ का अर्थ है फूल और ‘आब’ का अर्थ है पानी, जिसका मिलाकर मतलब होता है “गुलाब जल”। क्योंकि यह मिठाई चीनी की चाशनी में डुबोकर परोसी जाती है, जिसमें अक्सर गुलाब जल या केवड़ा जल की हल्की सी महक होती है, इसलिए इसके नाम का पहला हिस्सा ‘गुलाब’ बना। दूसरी ओर तली हुई खोये की नरम गोलियों का आकार और गहरा जामुनी रंग जामुन फल की याद दिलाता है। इसी वजह से इसके नाम का दूसरा हिस्सा ‘जामुन’ बन गया। इस तरह दो अलग-अलग शब्दों के मेल से बनी यह अद्भुत मिठाई कहलायी ‘गुलाब जामुन’।
मध्य एशिया से भारत तक का सफर
इतिहासकारों के अनुसार गुलाब जामुन की शुरुआत मध्य एशिया और ईरान से हुई। कहा जाता है कि तुर्की और फारसी खानसामों के जरिए यह व्यंजन मुगल काल में भारत पहुंचा। मुगल सम्राट शाहजहां के समय के दरबारी रसोइयों ने इसे पहली बार शाही रसोई में तैयार किया। शाहजहां को यह मिठाई इतनी पसंद आई कि धीरे-धीरे पूरे मुगल साम्राज्य में इसकी चर्चा होने लगी। मुगलों की शाही दावतों से निकलकर यह धीरे-धीरे उत्तर भारत, फिर पूरे देश के रसोईघरों में अपनी जगह बनाने लगी।
बंगाल की ‘लेदिकेनी’ की दास्तां
गुलाब जामुन से जुड़ी एक रोचक दास्तां 19वीं सदी के कोलकाता से भी जुड़ी है। माना जाता है कि प्रसिद्ध हलवाई भीम चंद्र नाग ने गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग की पत्नी लेडी कैनिंग के सम्मान में एक नई मिठाई बनाई थी। यह मिठाई गुलाब जामुन जैसी ही थी, बस आकार में लंबी और सिलेंडरनुमा। जब यह मिठाई सबको भा गई तो इसे लेडी कैनिंग के नाम पर ‘लेदिकेनी’ कहा जाने लगा। आज भी बंगाल में लेदिकेनी बड़े शौक से बनाई और खाई जाती है।
आज भी हर उत्सव की शान
सदियों पुराने इस मीठे सफर के बावजूद गुलाब जामुन का जादू आज भी बरकरार है। यह न केवल भारतीय घरों का पसंदीदा मीठा व्यंजन है, बल्कि दुनिया भर के भारतीय रेस्तरांओं में यह खास पहचान बना चुका है। चाहे गर्मागर्म परोसा जाए या ठंडी चाशनी में, गुलाब जामुन हर उत्सव की रौनक बढ़ाने और हर दिल को मीठा करने की ताकत रखता है।
गुलाब जामुन की यही अनोखी कहानी बताती है कि कैसे फारसी जड़ों से निकली यह मिठाई भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा बन गई और आज भी हर खुशी को मीठा बनाने का सबसे आसान और लजीज जरिया है।
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