जमुई/बिहार। कार्तिक मास के पावन अवसर पर शनिवार को जमुई जिले भर में देवोत्थान एकादशी का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन को भगवान विष्णु के चार महीने के योगनिद्रा से जागरण का दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में रहते हैं, और देवोत्थान एकादशी के दिन जागरण के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।
जमुई शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने स्नान, ध्यान और व्रत के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की। श्रीहरि विष्णु के शालग्राम स्वरूप, तुलसी दल और दीपदान का विशेष महत्व इस दिन देखने को मिला। कई स्थानों पर भक्तों ने तुलसी विवाह का आयोजन भी किया, जिसमें स्त्रियों ने पारंपरिक वेशभूषा में भक्ति भाव से भाग लिया। गिद्धौर, झाझा, बरहट, लक्ष्मीपुर, खैरा, अलीगंज, चकाई सहित अन्य ग्रामीण इलाकों के मंदिरों में भक्तों ने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ और ‘जय श्रीहरि’ के जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु शाम को दीप जलाकर भगवान विष्णु और देवी तुलसी की आराधना में लीन नजर आए। पंडितों के अनुसार, देवोत्थान एकादशी के बाद से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। इस प्रकार, इस एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, जो लोक परंपरा और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान रखती है। जमुई जिले में यह पर्व आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनकर मनाया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक पूजा, भजन-कीर्तन और दीपदान के आयोजन ने पूरे जिले को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
Tags:
Bihar
