नीतीश कुमार बने ‘रिकॉर्डमेकर’ : 10वीं बार लेंगे CM पद की शपथ, PM समेत देशभर के नेता आएंगे

पटना/बिहार, 20 नवंबर 2025, गुरुवार : बिहार की राजनीति एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। राज्य के वरिष्ठ नेता और जनता दल (यू) प्रमुख नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गुरुवार सुबह 11:30 बजे गांधी मैदान में बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह उनका दसवां कार्यकाल होगा, जो उन्हें देश के उन चुनिंदा नेताओं में शुमार करता है जिन्होंने इतने लंबे समय तक किसी प्रदेश का नेतृत्व संभाला हो।

शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राजधानी पटना में तैयारियां चरम पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए पटना आएंगे। उनके साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस समेत कई राष्ट्रीय नेता भी मौजूद रहेंगे। इस कारण कार्यक्रम को हाल के वर्षों की सबसे बड़ी राजनीतिक सभा बताया जा रहा है।

गांधी मैदान ‘सुरक्षा किले’ में तब्दील
कार्यक्रम में तीन लाख से अधिक लोगों के जुटने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर पर ले गया है। पूरे गांधी मैदान को पुलिस सुरक्षा घेरे में बदल दिया गया है। सैकड़ों की संख्या में अतिरिक्त पुलिस बल, बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वाड और ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है। चिकित्सा आपातकालीन टीमें और एंबुलेंस भी मैदान के विभिन्न हिस्सों में तैनात हैं।

नई सरकार गठन का रास्ता साफ
बुधवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही वे नए कैबिनेट के गठन की दिशा में आगे बढ़े। इस्तीफा सौंपने के समय केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मौजूद रहे। यह उनकी राजनीतिक मजबूती और व्यापक स्वीकार्यता का संकेत माना जा रहा है।

चार दशकों का राजनीतिक सफर—संघर्ष, उतार-चढ़ाव और निर्णायक मोड़
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा 1985 में जनता दल से शुरू हुई। लालू प्रसाद यादव के साथ राजनीतिक शुरुआत के बाद दोनों नेताओं में समय के साथ मतभेद गहराते गए। 1994 के दल-बदल और जनता दल (जॉर्ज) के गठन ने नीतीश को एक स्वतंत्र पहचान दी।
1996 में उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिलाया और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेलवे मंत्री रहे, जहां उनके काम की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई।
2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन महज सात दिन में सरकार गिर गई। 2005 में उन्होंने इतिहास रचा—लालू यादव के 15 साल के शासन को समाप्त कर बिहार में नई राजनीतिक शुरुआत की। लगभग एक दशक तक उन्होंने बिना किसी बड़ी चुनौती के बिहार को स्थिर नेतृत्व दिया। 2013 में भाजपा से अलग होना, 2015 में लालू के साथ महागठबंधन में जुड़ना, फिर 2017 में दोबारा एनडीए में आना—नीतीश का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 2022 में वे फिर महागठबंधन में गए, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वापस एनडीए का दामन थाम लिया।

2025 चुनाव—एनडीए की बड़ी जीत
2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 200 से अधिक सीटें जीतकर इतिहास दोहराया। 2010 के बाद यह दूसरा मौका है जब गठबंधन ने 200 के पार सीटें हासिल कीं। भाजपा-जदयू गठबंधन की यह जीत नीतीश की राजनीतिक महत्वकांक्षा और धरातल पर उनकी पकड़ को मजबूत करती है।

गुरुवार को होने वाला शपथ ग्रहण समारोह बिहार की राजनीति के एक और नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। सभी की निगाहें इस बात पर रहेंगी कि नीतीश कुमार अपने 10वें कार्यकाल में बिहार को किस दिशा में लेकर जाते हैं।
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